अकलुष इस्पात

अकलुष इस्पात के अंतर्गत वह सभी इस्पात ग्रेड सम्मिलित हैं जिनका उत्पादन एक विशेष गलाने वाली प्रक्रिया से होता है, जिनकी शुद्धता उच्च स्तर की होती है और जो नामित ऊष्मीय प्रशोधनों में समान रूप से प्रतिक्रिया करते हैं. इस परिभाषा के अनुसार, अकलुष इस्पात को सिर्फ मिश्रधातु या उच्च मिश्रधातु इस्पात होने की आवश्यकता नहीं है. पर यहां से विवरण के लिए हम कम-से-कम 10.5% की क्रोमियम सामग्री-युक्त उच्च मिश्रधातु अकलुष इस्पात तक ही सीमित रहेंगे.

उच्च मिश्रधातु अकलुष इस्पात का वर्गीकरण:

उच्च मिश्रधातु अकलुष इस्पात को उनकी संरचना के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  • फेर्रिटिक अकलुष इस्पात
  • मार्टेनिस्टिक अकलुष इस्पात
  • ऑस्टेनिटिक अकलुष इस्पात
  • फेर्रिटिक-ऑस्टेनिटिक अकलुष इस्पात (डुप्लेक्स इस्पात)

फेर्रिटिक अकलुष इस्पात

फेर्रिटिक अकलुष इस्पात दो समूहों में विभाजित हैं:

  • लगभग 11% से 13% क्रोमियम-युक्त
  • लगभग 17% क्रोमियम-युक्त (Cr)

10.5% से 13% क्रोमियम-युक्त अकलुष इस्पात को उसके कम क्रोमियम तत्व के कारण क्षय-प्रतिरोधी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इस इस्पात का इस्तेमाल वहां किया जाता है जहां सेवा जीवन, सुरक्षा और कम रखरखाव की आवश्यकताओं को सर्वोच्च महत्व दिया जाता है, और रूप पर विशेष ध्यान नहीं होता . यहां अनुप्रयोगों के आम क्षेत्र, उदाहरण के लिए, कंटेनर, गाड़ी और वाहन निर्माण है.

मार्टेनिस्टिक अकलुष इस्पात

12% से 18% क्रोमियम तत्व और 0.1% से अधिक कार्बन तत्व वाला मार्टेनिस्टिक अकलुष इस्पात 950 - 1050°C से ऊपर के तापमान में ऑस्टेनिटिक हो जाता है. तत्काल ठंडा (शमन) करने पर यह मार्टेनिस्टिक सरंचना ले लेता है. यह सरंचना, खासकर धातु को बार-बार गरम और ठंडा करके कड़ा बनाए जाने पर, उत्कृष्ट शक्ति प्रदान करती है, जो बढ़ते कार्बन सान्द्रण के साथ और भी बढ़ जाती है. मार्टेनिस्टिक अकलुष इस्पात का उपयोग, उदाहरण के लिए, रेज़र ब्लेड, चाकू या कैंची के उत्पादन के लिए किया जाता है.

ऑस्टेनिटिक अकलुष इस्पात

जब हम कार्यशीलता, क्षय-प्रतिरोधी और यांत्रिक गुणों के बात करतें हैं, तो 8% से ऊपर निकल सान्द्रण के साथ ऑस्टेनिटिक अकलुष इस्पात (जिसे क्रोमियम-निकल इस्पात भी कहा जाता है), व्यावहारिक उपयोग के लिए सबसे अनुकूल संयोजन का प्रतिनिधित्व करता है. अकलुष इस्पात के इस ग्रेड की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका उच्च क्षय-प्रतिरोधी होना है. इस कारण से, ऑस्टेनिटिक अकलुष इस्पात का उपयोग आक्रामक माध्यम वाले क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे की, क्लोराइड युक्त समुद्री जल के साथ संपर्क होना तथा रासायनिक और खाद्य उद्योग में.

ऑस्टेनिटिक-फेर्रिटिक अकलुष इस्पात

ऑस्टेनिटिक-फेर्रिटिक अकलुष इस्पात को उसकी दो संरचनाओं के कारण डुप्लेक्स इस्पात कहा जाता है. क्योंकि वे असाधारण लचीलेपन के साथ-साथ क्षय-प्रतिरोधी का उच्च स्तर भी प्रदान करते हैं, इस लिए यह इस्पात विशेष रूप से अपतटीय अभियांत्रिकी में उपयोग के लिए अनुकूल हैं.

अकलुष इस्पात की पिसाई

अकलुष इस्पात से बने कई अवयवों को मशीनी प्रक्रिया के अंत में पीसा जाता है. Klingspor की उत्पाद श्रृंखला में इस तरह के कई अपघर्षक हैं जो विशेष रूप से इस सामग्री के प्रसंस्करण के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. बहरहाल, अकलुष इस्पात के प्रसंस्करण में आवश्यक है की सामग्री की विशिष्ट ख़ासियतों को ध्यान में रखा जाए, जिससे लगातार संतोषजनक परिणाम प्राप्त हों. फैक्ट्री में उत्पादित परिष्कृत सतह, अर्थात रोल करी हुई, पिकअल्ड या बाद में उष्मा उपचार दी हुई सामग्री को इस तरह से चुनना चाहिए कि जितना संभव हो सके मूल सतह मशीनिंग के अंत में वांछित सतह जैसी दिखे. अकलुष इस्पात के वर्कपीसों के क्षय-प्रतिरोधी गुण को सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है की सामग्री का प्रसंस्करण होने से पहले उसका ठीक तरह से भंडारण और उचित ढुलाई हो.

विशेष रूप से न करने वाली चीजें:

  • अन्य प्रकार के इस्पात (इस्पात ब्रश, वायर केबल्स) के साथ किसी प्रकार का संपर्क.
  • सतहों और किनारों पर नुक़सान के साथ-साथ रगड़ के निशान.
  • सामग्री का प्रसंस्करण क्षेत्रों में भंडारण या अन्य किसी प्रकार के इस्पात के साथ भंडारण (जैसे की रोल करा हुआ इस्पात).

एक अन्य नियम जो क्षय प्रतिरोध पर लागू होता है: जितनी बेहतर सतह उतना अधिक क्षय के लिए प्रतिरोध

पिसाई

यहां कई मापदंड हैं जो परिष्कृत सतहों का खुरदरापन और उसके दृश्य दिखावट को प्रभावित करते हैं:

  • अपघर्षक मशीन पर लगे संपर्क तत्व और मशीनिंग मापदंड (काटने की गति और फीड दरें)
  • पिसाई के लिए सहायक माल (तेल और पायस) का उपयोग
  • अपघर्षक की गुणवत्ता

पीसने वाली प्रक्रिया द्वारा निर्दिष्ट इन सीमा शर्तों के कारण, परिष्कृत सतह और उस पर इस्तेमाल किए गए अपघर्षकों के सह-संबंध के बारे में कोई सामान्य कथन नहीं किया जा सकता है. सतहों के परिणामों को लेकर किसी भी गलतफ़हमी से बचने के लिए, प्रसंस्करण शुरू करने से पहले एक परिसीमा नमूना और खुरदरापन औसतों (Ra) को परिभाषित किया जाना चाहिए.

पिसाई और क्षय

इस बात पर ध्यान दिए बिना कि किस प्रकार के अकलुष इस्पात का उपयोग किया जा रहा है, ज़रूरी है की क्षय प्रतिरोधी इस्पात को पीसने के लिए नीचे सूचीबद्ध उपायों का कड़ाई से पालन किया जाए:

  • कभी भी अपघर्षक उपकरणों का उपयोग पहले सामान्य इस्पात पर और फिर बाद में अकलुष इस्पात पर न करें!
  • सभी सतहों से पिसाई की धूल अच्छी तरह हटा दें!
  • अकलुष इस्पात की सतहों पर कभी भी गर्म चिंगारियों का स्प्रे न करें!
  • प्रसंस्करण के लिए तापमान इतना कम होना चाहिए की क्रोमियम कार्बाइड का गठन न हो पाए, क्योंकि ऐसा होने पर अंतर-क्रिस्टलाइन क्षय हो जाता है. अगर धातु मलिन हो जाए तो उस पर फिर से काम करना पड़ता है.

इसी एकमात्र तरीके से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि संसाधित क्षेत्रों में निष्क्रिय परत का पुनर्निर्माण हो और अन्य सतहों को ख़ंदक़ क्षय या इंटरक्रिस्टलाइन क्षय से होने वाली क्षति से बचाया जा सके.

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